युवाओं के लिए बने मिसाल, 116 साल की उम्र में दो साल से उर्दू सीख रहे पूर्व मुखिया

चार भाषाओं पर है कमांड:उर्दू भाषा सीखने के बाद मुखिया जी चार भाषा के जानकार हो गए। वर्ष 1902 में मुखिया जी का मखदुमपुर प्रखंड के छतियाना में जन्म हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा ग्रामीण परिवेश में लेने के बाद उन्होंने 1916 में गया जिले के बेला स्थित अग्रवाल उच्च विद्यालय से मैट्रिक की परीक्षा पास की। मुखिया जी बताते हैं कि उर्दू सीखने के बाद हिंदी,अंग्रेजी एवं कैथी सहित चार भाषाओं पर उन्हें कमांड हो गया है।
30 साल तक मुखिया रहे, गांव में स्कूल-अस्पताल खुलवाया:अवध सिंह तीस साल लगातार मुखिया रह कर अपने इलाके में विकास की रोशनी फैलाई। वे बताते हैं कि उस वक्त न तो स्कूल था और नहीं सड़क की सुविधा। वे बताते हैं कि 1957 में जब भारत में पंचायती राज व्यवस्था लागू हुआ था उसी वक्त मुखिया के लिए निर्वाचित घोषित किए गए थे।लगातार तीस साल 1987 तक मुखिया पद पर काबिज रहा कर इलाके में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रयासरत रहा । इसी का परिणाम है कि गांव में विद्यालय के साथ ही अस्पताल एवं अन्य सुविधाएं उपलब्ध है।
14 साल में उर्दू भाषा सीखने की ठानी लेकिन अधूरी रही मुराद:चौदह वर्ष की उम्र में उन्होंने उर्दू सीखने की ठानी थी लेकिन जीवन के झंझावतों में उनकी यह ख्वाइस अंदर ही अंदर कुलाचे मारती रही और उचित अवसर हाथ से जाता रहा। आखिरकार 116 वर्ष पूरा करने के बाद उनकी ख्वाहिश पूरी ही हो गई। पिछले दो साल से भाषा के पीछे पड़े मुखिया पूरी तरह उर्दू सीख गए हैं। खुद ही किताब मंगाकर स्वाध्याय करते रहे।
via bhaskar
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