डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से पीएमसीएच में 11 साल में गयी 700 से अधिक मरीजों की जान

जूनियर डॉक्टर छोटी-छोटी बात पर हड़ताल पर चले जाते हैं, जिसका नुकसान गरीब मरीजों को उठाना पड़ता है. कहा जाता है कि इस हड़ताल को शह सीनियर डॉक्टरों से मिलती है. हड़ताल के वक्त भी सीनियर डॉक्टर सपोर्ट करते हैं. इन मौतों को लेकर न स्वास्थ्य विभाग कोई कार्रवाई करता है, न ही मानवाधिकार आयोग ऐसे मामलों में सजग होती है.
- एसोसिएशन जाता है हड़ताल खत्म कराने: पीएमसीएच में होने वाले हड़तालों को खत्म कराने में सीनियर डॉक्टर रुचि नहीं लेते. ऐसे मामलों में डॉक्टरों के एसोसिएशन आइएमए और भासा सरकार से बात करते हैं.
इस वार्ता के दौरान मेडिकल कॉलेज के प्रशासक सामने नहीं आते हैं. 2011 के पहले माह में हुए हड़ताल को भी आइएमए व सरकार की वार्ता के बाद समाप्त किया गया. 2016 और 2017 में डायरेक्टर इन चीफ के साथ आइएमए और भाषा दोनों साथ था. यही वजह है कि जूनियर डॉक्टरों का मनोबल बढ़ जाता है और हड़ताल पर चले जाना उनके लिए खेल साबित होने लगा है.
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