सुप्रीम कोर्ट ने सरकार ने पूछा-वेतन समान नहीं तो सेवा व कार्य अवधि समान कैसे?

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार ने पूछा-वेतन समान नहीं तो सेवा व कार्य अवधि समान कैसे?पटना.सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार से पूछा-वेतन समान नहीं तो फिर सेवा और कार्य अवधि समान कैसे? राज्य सरकार के वकील से जज ने पूछा- 20 प्रतिशत वेतन बढ़ाने के लिए सरकार नियोजित शिक्षकों से परीक्षा लेने की बात कर रही है, 34540 शिक्षकों को समान वेतन पर कैसे बहाल किया था? राज्य में कितने प्रकार के शिक्षक हैं? बताएं। जज ने राज्य सरकार के वकील से यह भी कहा कि बार-बार आर्थिक रोना रोया जा रहा है। इससे अलग बात रखें।
गुरुवार को समान काम समान वेतन मामले पर दिन भर सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश एएम सप्रे और यूयू ललित ने सुनवाई की। अगली सुनवाई 14 अगस्त को होगी। 3.56 लाख नियोजित शिक्षकों के पक्ष में हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इस आदेश पर रोक लगाने की अपील दायर की है। इससे संबंधित एसएलपी को संवैधानिक पीठ में भेजने की राज्य सरकार की अपील को कोर्ट ने खारिज कर दिया।
केंद्र सरकार की ओर से एटार्नी जनरल वेणु गोपाल ने कोर्ट को बताया कि अपना पक्ष लिखित और मौखिक दोनो पहले ही रख दिया है। समान वेतन देने में 1.36 लाख करोड़ का अतिरिक्त भार केंद्र सरकार पर पड़ेगा, जो वहन करना संभव नहीं है। बिहार में शिक्षकों को समान वेतन दिए जाने पर अन्य राज्यों से भी यह मुद्दा उठेगा।
राज्य सरकार की ओर से सीनियर वकील श्याम दीवान ने कहा- एक छत के नीचे पढ़ाने के कारण ही नियोजित शिक्षक समान वेतन मांग रहे हैं। राज्य सरकार की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि 3.56 लाख नियोजित शिक्षकों को पुराने शिक्षकों के बराबर समान वेतन दे सके। सरकार ने पिछले 11 वर्षों में शिक्षकों 7 गुना से अधिक वेतन में बढ़ोतरी हुई। आगे भी बढ़ोतरी जारी रहेगी। प्रारंभिक परिवर्तनकारी शिक्षक संघ के वकील सलमान खुर्शीद ने सरकार के पक्ष को काटते हुए कहा-मौलिक अधिकार को वित्तीय स्थिति से नहीं जोड़े सरकार।
इसके पहले राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया था कि नियोजित शिक्षकों को समान वेतन देने पर साइकिल, पोशाक और अन्य कल्याणकारी योजनाओं को बंद करनी होगी। पिछले सुनवाई में सरकार ने कोर्ट से कहा था कि पुराने नियमित शिक्षकों के रिटायरमेंट के साथ ही पद भी समाप्त किया जा रहा है। सरकार लगातार कोर्ट में तर्क दे रही है कि नियोजित शिक्षक सरकारी कर्मी नहीं हैं। इनका नियोजन पंचायत और नगर निकायों के विभिन्न नियोजन इकाइयों के माध्यम से की गई है। सरकार ने कहा कि समान काम समान वेतन देने पर सरकार को सालाना 28 हजार करोड़ का बोझ पड़ेगा। एरियर देने की स्थिति में 52 हजार करोड़ भार पड़ेगा। जुलाई 2015 से ही शिक्षकों को वेतनमान दिया जा चुका है। 2015 में 14 और 2017 में लगभग 17 प्रतिशत शिक्षकों के वेतन में बढ़ोतरी भी हुई है।

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