फसल सहायता योजना के लिए तीन लाख से कम किसानों ने किया आवेदन

सरकार ने खरीफ मौसम से ही इस नई योजना को लागू की है। इस योजना में बिना किसी बीमा कंपनी के फसलों के आकलन के आधार पर सरकार खुद फसल क्षतिपूर्ति का मुआवजा देगी। एक से 20 प्रतिशत तक फसल क्षति होने पर प्रति हेक्टेयर 7.5 हजार रुपए मुआवजा दिया जाना है। 20 प्रतिशत से अधिक क्षतिपूर्ति पर प्रति हेक्टेयर 10 हजार रुपए मुआवजा का प्रावधान किया गया है।
इस योजना में रैयत और गैर रैयत (बटाईदार) किसान अधिकतम 2 हेक्टेयर तक मुआवजा ले सकते हैं। इस योजना में शामिल होने के लिए किसानों को निबंधन कराना जरूरी है।
जुलाई में 10 हजार किसानों ने मात्र निबंधन कराया था, इसलिए निबंधन की तिथि 31 अगस्त तक के लिए बढ़ाई गई है। तिथि बढ़ने पर भी निबंधन नहीं बढ़ रहे हैं। पंचायत स्तर पर चार फसल कटनी के आधार पर पिछले 7 वर्षों के उत्पादन का औसत के आधार पर फसल क्षति का आकलन होगा।
ऐसे किसान भी इस योजना में शामिल हो सकते हैं, जिन्होंने डीजल सब्सिडी सहित अन्य योजनाओं का लाभ भी लिया है। इस योजना के दायरे में राज्य के एक करोड़ किसान आ सकते हैं। इसके पहले प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के दायरे में 16 लाख किसान आते थे।
निबंधन निशुल्क है। फसल क्षति दावा का आकलन और जांच के बाद ही मुआवजा फसल कटनल के 15 दिनों के अंदर किसानों के बैंक खाता में कर दिया जाएगा। निबंधन सहित सभी प्रकार की सूचना किसानों को उनके मोबाइल पर एसएमएस के जरिए दिया जाएगा। रैयत (जमीन मालिक) किसान को जमीन का खाता खसरा आदि का जिक्र करना है। गैर रैयत किसान को स्वघोषणा के आधार पर इस योजना में शामिल कर लिया जाएगा। इसके लिए विभाग अपने स्तर से किसानों की सत्यता की जांच करा लेगा।
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