असम में हमारे ‘घुसपैठिए’ नहीं, भारत सुलझाए अपना मसला : बांग्लादेशी गृह मंत्री

ढाका : बंगाल के साथ सीमा साझा करने वाले असम राज्य भारतीय नागरिकों की सूची में संशोधन कर रहा है। भारतीय गृह मंत्री के आश्वासन के बावजूद कि डिफॉल्टर्स के खिलाफ कोई जबरदस्त कार्रवाई नहीं की जाएगी, पहली मसौदा सूची से बाहर हुए लोगों को डर है कि अगर वे अब से एक महीने के भीतर अपनी नागरिकता साबित करने में विफल रहते हैं तो उन्हें निर्वासन का सामना करना पड़ेगा।
असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (NRC) में जिन 40 लाख लोगों का नाम लिस्ट में नहीं है, उसमें से अधिकतर लोग बांग्लादेशी बताए जा रहे हैं. सरकार ने इस मामले में सख्त रूप अपनाया है और कहा है कि वह सिर्फ भारतीय नागरिकों को ही देश में रहने का अधिकार है. कोई अवैध रूप से यहां नहीं रह सकता है.
देश में चल रही राजनीति के बीच पहली बार बांग्लादेश की ओर से कोई बयान आया है. बांग्लादेश के सूचना प्रसारण मंत्री हसन उल हक इनु का कहना है कि ये भारत का आंतरिक मामला है, इसमें हमारा कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने कहा कि असम में कोई भी बांग्लादेशी घुसपैठिए नहीं हैं, जो लोग वहां रह रहे हैं वह काफी लंबे समय से रह रहे हैं. मंत्री ने कहा कि बांग्लादेश के अस्तित्व के 48 वर्षों में भारत ने कभी भी अवैध आप्रवासियों के मामले को नहीं उठाया है।

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