पटना : न्यू इंडिया विजन वाले जिलों में बहुत सुस्त है सुधार की रफ्तार

पटना : न्यू इंडिया विजन वाले जिलों में बहुत सुस्त है सुधार की रफ्तारपटना : वर्ष 2022 तक न्यू इंडिया विजन को साकार करने के लिए केंद्र सरकार ने सामाजिक-आर्थिक सूचकांक पर पिछड़े देश के 115 जिलों का चयन किया है. इनमें बिहार के भी 13 जिले शामिल हैं. इनकी स्थिति में सुधार लाने के लिए इनको आकांक्षी (एस्पीरेशनल) जिले का नाम देते हुए मॉनिटरिंग की विशेष व्यवस्था की गयी. इनमें मोदी सरकार की आइकॉन कही जाने वाली सात बड़ी योजनाओं का संचालन मिशन मोड पर किया जा रहा है. इन जिलों के डीएम पर स्थिति में सुधार की बड़ी जिम्मेदारी है. केंद्र व राज्यों के बीच समन्वय के लिए 115 प्रभारी अधिकारी भी अलग से नियुक्त किये गये हैं. लेकिन, लापरवाही के चलते योजनाओं का लक्ष्य हासिल नहीं हो पा रहा.
 
लक्ष्य से पिछड़ रहीं योजनाएं : इन 13 जिलों के 8569 गांवों में पीएम जन-धन, सौभाग्य, उज्ज्वला, उजाला, जीवन ज्योति व सुरक्षा बीमा तथा मिशन इंद्रधनुष योजनाएं चिह्नित आबादी तक पहुंचायी जानी है. लेकिन, समीक्षा रिपोर्ट के मुताबिक योजनाएं लक्ष्य से पिछड़ रही हैं. 
 हालांकि, इसके पीछे अधिकारियों के अपने तर्क हैं. उजाला योजना को लेकर एलईडी बल्ब की आपूर्ति में विलंब की बात कही जा रही है. वहीं, जन-धन और बीमा योजनाओं को लेकर बैंकों का कहना है कि कई गांव में कैंप लगाने के लिए उनके पास मानव संसाधन उपलब्ध नहीं हैं.  कहीं-कहीं गांवों में निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप जनसंख्या ही उपलब्ध नहीं हैं. इसको लेकर राज्य सरकार ने सभी जिलाधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किया है. 
 
योजनाओं की स्थिति
 

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