15 गांवों में नहीं जाते वाहन, क्योंकि पटरियां बिछने से अलग हो गया रोड

ट्रैक के दोनों ओर सड़क बनी है, लेकिन बीच में पटरियों के कारण 15 गांवों में वाहन नहीं पहुंच पा रहे। लोगों को रेलवे ढाले के पास गाड़ी खड़ी कर पैदल ही जाना पड़ता है। लोग मरीजों को खाट पर कंधों पर उठाकर अस्पताल ले जाने को विवश हैं। दो साल में तीन मरीजों की मौत हो चुकी है।
पढ़ने वाले दो हजार बच्चे भी सुरक्षित नहीं : 15 गांवों के करीब 2000 बच्चे सबौर व भागलपुर के निजी स्कूलों में पढ़ते हैं। वे रोजाना गांव से रेलवे ढाला के बाजू से पैदल रेल पटरी पार कर एनएच-80 तक पहंुचते हैं।
10 साल से हो रही मांग : समस्या दूर करने के लिए ग्रामीण करीब 10 साल से मांग कर रहे हैं। ग्रामीण अशोक ने कहा आंदोलन किए जा रहे हैं। डीएम को भी आवेदन दिया है।
3 की चली गई है जान : पटरी पार करने में देरी होती है। पूनम, सोनिया व दिव्यांग मित्तलाल ठाकुर को समय पर अस्पताल नहीं पहुंचाया जा सका, उन्होंने दम तोड़ दिया।
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