डिजिटल नेटवर्क से जुड़ेंगे 849 थाने, लोगों को 7 तरह की सुविधाएं ऑनलाइन मिलेंगी

चरित्र सत्यापन, आवश्यक पुलिस अनुमति, खोए-पाए-लापता सामग्रियों की सूचना, खोए या चोरी हुए सामानों की जानकारी आदि भी ऑनलाइन मिलेगी। अपराधियों के फिंगरप्रिंट का डेटाबेस होगा। कहीं के भी अपराधी की जानकारी उसके फिंगरप्रिंट से हो सकेगी।
फिंगरप्रिंट डेटाबेस से सिर्फ 89 सेकंड में अपराधी की पहचान हो सकेगी। थानों में गुंडा रजिस्टर, एफआईआर रिकॉर्ड आदि भी डिजिटल होंगे। राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर भी एक थाना से दूसरे थाना में सूचना के आदान प्रदान में बहुत सुविधा व पारदर्शिता होगी। इससे पुलिस डायरी में हेरफेर करना मुश्किल होगा।
पटना और नालंदा में 32 हफ्ते में एक्टिव होगा : इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में पटना व नालंदा जिला में शुरू किया जाना है। यहां यह 32 सप्ताह के अंदर एक्टिव होगा। इसके बाद अगले 23 सप्ताह में इसे राज्य के अन्य पुलिस कार्यालयों में लागू किया जाएगा। यह एक साल में पूरे राज्य में काम करने लगेगा।
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