शिक्षक की नौकरी के लिए महिला पुरुष बन गई तो कई ने अपनी जाति और धर्म ही बदल लिया

सिंबोलिक इमेजपटना. फर्जीवाड़े के मास्टर गुरु बन बैठे। पड़ताल और पहचान में गजब की चालबाजी सामने आ रही। देश का कोई ऐसा हिस्सा नहीं बचा जहां से फर्जी सर्टिफिकेट बटोरने की कोशिश नहीं हुई। यह खेल हुआ बिहार में शिक्षक बनने के लिए। फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर नियोजित शिक्षकों की तलाश में विजिलेंस 20 मई 2015 से जुटी है।


आदेश पटना हाईकोर्ट का था। लेकिन राह आसान नहीं है। 3 साल 3 महीने में भी जांच अधूरी है। 3,52,555 नियोजित शिक्षकों में से 94,954 के फोल्डर ही नहीं मिले अभी तक। फोल्डर नियोजन इकाइयों के पास होते हैं और इनमें शिक्षकों के प्रमाण-पत्र होते हैं। फोल्डरों का न मिलना ही गड़बड़ी का स्तर बताता है। फोल्डर न देने वाली नियोजन इकाइयों के खिलाफ भी कार्रवाई शुरू है।

विजिलेंस के सूत्रों की मानें तो मामले में इतने पेंच हैं कि तह तक पहुंचने में वक्त लगना लाजिमी है। जांच में जम्मू-कश्मीर से लेकर नागालैंड तक और कर्नाटक से लेकर दिल्ली तक के प्रमाण पत्र मिल रहे हैं। दस्तावेजों की पुष्टि के लिए विजिलेंस की टीम अलग-अलग राज्यों की खाक छान रही है।

  1. बीटेट-2011 शिक्षक बहाली फर्जीवाड़ा में निगरानी की टीम ने कई पर केस किया था। इनमें पटना जिला में बहाल हुए शिक्षक नहीं थे। ज्यादातर बेगूसराय, औरंगाबाद, छपरा व अन्य जिलों के थे। कई ऐसे भी थे जिन्होंने परीक्षा भवन का मुंह नहीं देखा पर रकम देकर नौकरी पा गए। वेतन भी मिलने लगा। जांच में पता चला कि बोर्ड ऑफिस के कर्मियों की मिलीभगत से गोलमाल हुआ है। बोर्ड ऑफिस ने कोतवाली थाना में केस दर्ज किया, मामला बेगूसराय में हुए फर्जीवाड़े का था। पुलिस ने 5 बोर्ड कर्मियों, एक दलाल, 4 शिक्षिका और एक शिक्षिका के पति को गिरफ्तार कर लिया।

Comments

Popular posts from this blog

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री स्व॰ भोला पासवान शास्त्री का जन्म दिवस समारोह का आयोजन

विवादों का सुपर 30: अब पुलिस के खिलाफ ईंट से ईंट बजाएंगे आनंद! जानिए मामला