बिहार में सबसे ज्यादा लुटते हैं बैंक, बैंकों का सिक्योरिटी पर ध्यान नहीं क्योंकि लुटने वाला पैसा इंश्योर्ड, इसीलिए सुरक्षा भगवान भरोसे

bihar at the frist in india for bank and atm robberyपटना. राज्य में बैंकों की सुरक्षा या तो कागजी गाइड लाइन और एडवायजरी के भरोसे चल रही है या फिर भगवान के भरोसे। कागज पर नियम और कानून इतने सख्त हैं कि परिंदा भी पर  मार सके। लेकिन, वास्तविकता इसके ठीक उलट है। आपराधी जब चाहते हैं, बैंक और कैश वैन लूटते हैं और सुरक्षा गार्ड या तो सरेंडर बोल जाते हैं या फिर मार दिए जाते हैं। 

राज्य पुलिस का सीआईडी हर साल फरवरी में बैंकों की सुरक्षा पर एडवायजरी जारी कर अपनी जिम्मेवारी निभाता है और बैंक इस बात को लेकर बेफिक्र हैं कि उनका पैसा और स्टाफ तो इंश्योर्ड (बीमित) है। अपराधी इसी निश्चिंतता का जमकर फायदा उठा रहे हैं। समस्तीपुर में 53 लाख की लूट और बिना कारतूस के बंदूक लिए गार्ड की हत्या इसका ताजा उदाहरण हैं। दरअसल राज्य में बैंकों की सुरक्षा की हकीकत यह है कि कहीं यह लाठीधारी गार्डों के जिम्मे हैं तो कहीं वह भी नदारद। कई जगह जहां गार्ड हैं भी तो उनके पास आदम जमाने के हथियार हैं। बैंकों की सुरक्षा का मसला नया नहीं है। हर बड़ी वारदात के बाद बैंकों को आरबीआई के नियमों के अनुसार सुरक्षा मानकों का पालन करने को कहा जाता है लेकिन यह सब तब तक वैसे ही चलता रहता है जबतक दोबारा कोई वारदात न हो जाए। भास्कर ने राजधानी पटना सहित राज्य के अलग-अलग शहरों में बैंकों की सुरक्षा की पड़ताल की तो चौंकाने वाला सच सामने आया।
शादी में फायरिंग कर की थी प्रैक्टिस
राजधानी पटना में आईसीआईसीआई बैंक की कैश लोडिंग टीम के साथ ऐसे गार्ड भी हैं जिन्होंने कबूल किया कि तीन साल पहले एक शादी में फायरिंग की थी। गार्ड ने स्वीकार किया कि किसी भी विपरीत परिस्थिति में वे रेस्पांस करने में अक्षम हैं। बताया कि हर कैश वैन के साथ कम से कम तीन गनमैन होने चाहिए वरना जान भी खतरे में रहती है। इस गार्ड की शिकायत है की पैसे बचाने के लिए कंपनी हर वैन में एक गार्ड ही देती है। 
कॉस्ट कटिंग को ले सुरक्षा से समझौता
डाक बंगला चौराहे के पास आईडीबीआई के बाहर बिना गन के दो गार्ड दिखे। गन क्यों नहीं है? गार्ड ने कहा कि साहब ही बताएंगे। बोरिंग रोड की पीएनबी शाखा में तीन वर्षों से सुरक्षा गार्ड नहीं है। एसबीआई और आईडीबीआई की अधिकतर शाखाओं में गार्ड के पास हथियार नहीं है। एसबीआई की गांधी मैदान स्थित पटना की मुख्य शाखा में भी बगैर हथियार के ही गार्ड नियुक्त हैं। एसबीआई के एक अधिकारी कहते हैं की पूरा मामला कॉस्ट कटिंग का है।
क्या कहते हैं आंकड़े
2016 में 11 वारदात, लूटे 1.21 करोड़ रु.
2017 में 10 वारदात, लूटे 1.33 करोड़ रु.
2018 में 6 वारदात, लूटे 1.26 करोड़ रु.
ये भी जानें
5000 एटीएम से सुरक्षा गार्ड बीते 3 वर्षों में  हटा लिए गए हैं।
7000 बैंक शाखाओं की सुरक्षा में 2200 गार्ड हैं।
2200 सुरक्षा गार्ड में से 600 गार्ड ही हथियार से लैस हैं।
2016 के बाद किसी भी बैंक ने गार्ड नियुक्त ही नहीं किए हैं

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